OPINION: सिर्फ मनोरंजन नहीं, सही दिशा देना हो कला और साहित्‍य का उद्देश्‍य

हमारा मानना है कि साहित्य समाज का दर्पण होने के साथ साथ, समाज का 'प्रणेता' भी है अर्थात साहित्यकार की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह समाज का प्रतिबिंब दिखाने के साथ-साथ, समाज को सही दिशा दे, समाज को उसके कर्तव्यों और दायित्वों का बोध भी कराए और गलतियां करने से भी रोके. हमारी पौराणिक कथाओं की एक खास बात यह है कि उन में हर हाल में सत्य की असत्य पर विजय होती है, ‘सत्यमेव जयते’. दुष्ट का नाश होता है. आज ऐसे ही साहित्‍य और कलाओं की रचना की आवश्‍यकता है.

from Latest News देश News18 हिंदी https://ift.tt/wPnMWAq

Post a Comment

0 Comments