कई एजेंसियों ने पाया कि इन ऐप्स का इस्तेमाल कश्मीर घाटी में आतंकवादी अपने समर्थकों और ऑन-ग्राउंड वर्कर्स (OGW) के साथ संवाद करने के लिए कर रहे थे. सरकार ने यह भी पाया कि इन ऐप्स के भारत में प्रतिनिधि नहीं थे और भारतीय कानूनों के अनुसार जानकारी मांगने के लिए उनसे संपर्क नहीं किया जा सकता था.
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