दास्तान-गो : महबूब खान… ‘गोरे अमेरिकियों’ को ‘मदर इंडिया’ की ताक़त दिखाने वाले

Daastaan-Go ; Mahboob Khan Birth Anniversary : बताते हैं, महात्मा गांधी ने इस किताब को किसी ‘नाली निरीक्षक की रिपोर्ट’ जैसा बता दिया था. बापू का इतना कहना तो बहुत बड़ी बात थी जनाब. इसके बाद तो कैथरीन के कारनामे पर हिन्दुस्तान के तमाम जवां मर्दों का खून खौलने लगा था. इनमें यक़ीनी तौर पर 21-22 बरस का वह नौजवान भी शामिल था, जो गुजराती कारोबारी नूर मोहम्मद अली मोहम्मद शिप्रा की घुड़साल में घोड़ों की नाल ठोकने का काम करता था. जरूरत पड़ने पर फिल्मों की शूटिंग के लिए घोड़े, इन्हीं नूर मोहम्मद की घुड़साल से जाया करते थे. और वह लड़का जो इन घोड़ों की नाल ठोकता था, ख़ुद भी फिल्मी दुनिया में जाने कोशिशों में लगा था.

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