दास्तान-गो: ‘यहां इतना सन्नाटा क्यूं है भाई’… याद आए न एके हंगल?

Daastaan-Go ; AK HAngal Death Anniversary : अपने सपोर्टिंग रोल के मसले पर हंगल साहब अक्सर कहा करते थे, ‘मैं कोई हीरो नहीं हूं. मैं कुछ और मटेरियल रहा. मैं, जो काम होता है, एक्टिंग का, उसका हीरो था’. या दूसरे लफ़्ज़ों में कहें, तो ‘छोटे किरदारों के बड़े अदाकार हंगल साहब’.

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