सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘आपने अपने कॉलेज में ‘मूट कोर्ट’ (परिकल्पित अदालत) में हिस्सा लिया होगा. इसे ‘मूट कोर्ट’ मानें. हमारे पास भोजनावकाश में अभी 10 मिनट हैं. आपने ‘ब्रीफ’ पढ़ा होगा. कृपया दलील पेश करें. हम जानते हैं कि आप दलील पेश कर सकते हैं. जब भी आपके वरिष्ठ अनुपस्थित हों तो आपको मामले में दलील पेश करने के अवसर का लाभ उठाना चाहिए. बिना ‘ब्रीफ’ के वकील क्रिकेट के मैदान पर बिना बल्ले के सचिन तेंदुलकर के समान है.’’
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